Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_a0dbce710920b6b8f7d9953d559ea601, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
आशिक़ी के आश्कारे हो चुके - यासीन अली ख़ाँ मरकज़ कविता - Darsaal

आशिक़ी के आश्कारे हो चुके

आशिक़ी के आश्कारे हो चुके

हुस्न-ए-यकता के पुकारे हो चुके

उठ गया पर्दा जो फ़ी-माबैन था

मन्न-ओ-तू के थे इशारे हो चुके

है बहार-ए-गुलशन-ए-दुनिया दो रोज़

बुलबुल-ओ-गुल के नज़ारे हो चुके

चल दिए उठ कर जहाँ चाहे वहाँ

एक रंगी के सहारे हो चुके

यास से कह देंगे वक़्त-ए-क़त्ल हम

हम तो ऐ प्यारे तुम्हारे हो चुके

वासिल-ए-दरिया जो क़तरा हो गया

ग़ैरियत के थे पुकारे हो चुके

गुलशन-ए-हस्ती में देखी थी बहार

औज पर जो थे सितारे हो चुके

वर्ता-ए-दरिया का ग़म जाता रहा

ग़ोता खाते थे किनारे हो चुके

नेक-ओ-बद से तुम को 'मरकज़' क्या ग़रज़

दूर दुश्मन थे तुम्हारे हो चुके

(1075) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Aashiqi Ke Aashkare Ho Chuke In Hindi By Famous Poet Yasin Ali Khan Markaz. Aashiqi Ke Aashkare Ho Chuke is written by Yasin Ali Khan Markaz. Complete Poem Aashiqi Ke Aashkare Ho Chuke in Hindi by Yasin Ali Khan Markaz. Download free Aashiqi Ke Aashkare Ho Chuke Poem for Youth in PDF. Aashiqi Ke Aashkare Ho Chuke is a Poem on Inspiration for young students. Share Aashiqi Ke Aashkare Ho Chuke with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.