Ghazals of Yasin Ali Khan Markaz
नाम | यासीन अली ख़ाँ मरकज़ |
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अंग्रेज़ी नाम | Yasin Ali Khan Markaz |
याद-ए-ख़ुदा से आया न ईमाँ किसी तरह
शिर्क का पर्दा उठाया यार ने
जो नज़र किया मैं सिफ़ात में हुआ मुझ पे कब ये अयाँ नहीं
जहाँ बात वहदत की गहरी रहेगी
ग़फ़लत अजब है हम को दम जिस का मारते हैं
ढूँढता हक़ को दर-ब-दर है तू
ढूँढ हम उन को परेशान बने बैठे हैं
अयाँ हो आप बेगाना बनाया
अपना पता मुझे बता बहर-ए-ख़ुदा तू कौन है
अजब भूल ओ हैरत जो मख़्लूक़ को है
आशिक़ी के आश्कारे हो चुके
आप को भूल के मैं याद-ए-ख़ुदा करता हूँ