तअल्लुक़ उस से अगरचे मिरा ख़राब रहा

तअल्लुक़ उस से अगरचे मिरा ख़राब रहा

क़सम सफ़र की वही एक हम-रिकाब रहा

समझ सका न उसे मैं क़ुसूर मेरा है

कि मेरे सामने तो वो खुली किताब रहा

मैं एक लफ़्ज़ भी लेकिन न पढ़ सका उस को

अगरचे वो भी मिरा शामिल-ए-निसाब रहा

मैं मअरिफ़त के हूँ अब उस मक़ाम पर कि जहाँ

किया गुनाह भी तो ख़दशा-ए-सवाब रहा

हक़ीक़तों से मफ़र चाही थी 'यशब' मैं ने

पर अस्ल अस्ल रहा और ख़्वाब ख़्वाब रहा

(956) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Talluq Us Se Agarche Mera KHarab Raha In Hindi By Famous Poet Yashab Tamanna. Talluq Us Se Agarche Mera KHarab Raha is written by Yashab Tamanna. Complete Poem Talluq Us Se Agarche Mera KHarab Raha in Hindi by Yashab Tamanna. Download free Talluq Us Se Agarche Mera KHarab Raha Poem for Youth in PDF. Talluq Us Se Agarche Mera KHarab Raha is a Poem on Inspiration for young students. Share Talluq Us Se Agarche Mera KHarab Raha with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.