शहर-ए-सुख़न अजीब हो गया है

शहर-ए-सुख़न अजीब हो गया है

नाक़िद यहाँ अदीब हो गया है

झूट इन दिनों उदास है कि सच भी

परवर्दा-ए-सलीब हो गया है

गर्मी से फिर बदन पिघल रहे हैं

शायद कोई क़रीब हो गया है

आबादियों में डूब कर मिरा दिल

जंगल से भी मुहीब हो गया है

क्या क्या गिले नहीं उसे वतन से

'यावर' कहाँ ग़रीब हो गया है

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Shahr-e-suKHan Ajib Ho Gaya Hai In Hindi By Famous Poet Yaqoob Yawar. Shahr-e-suKHan Ajib Ho Gaya Hai is written by Yaqoob Yawar. Complete Poem Shahr-e-suKHan Ajib Ho Gaya Hai in Hindi by Yaqoob Yawar. Download free Shahr-e-suKHan Ajib Ho Gaya Hai Poem for Youth in PDF. Shahr-e-suKHan Ajib Ho Gaya Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Shahr-e-suKHan Ajib Ho Gaya Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.