याक़ूब यावर कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का याक़ूब यावर
नाम | याक़ूब यावर |
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अंग्रेज़ी नाम | Yaqoob Yawar |
जन्म की तारीख | 1952 |
जन्म स्थान | Varanasi |
तू ला-मकाँ में रहे और मैं मकाँ में असीर
शहर-ए-सुख़न अजीब हो गया है
पहाड़ जैसी अज़्मतों का दाख़िला था शहर में
लहू महका तो सारा शहर पागल हो गया है
अगर वो आज रात हद्द-ए-इल्तिफ़ात तोड़ दे
आज भी ज़ख़्म ही खिलते हैं सर-ए-शाख़-ए-निहाल
सुख़न को बे-हिसी की क़ैद से बाहर निकालूँ
शहर-ए-सुख़न अजीब हो गया है
रौशनी मेरे चराग़ों की धरी रहना थी
मिरी दुआओं की सब नग़्मगी तमाम हुई
मसअलों की भीड़ में इंसाँ को तन्हा कर दिया
लर्ज़ां तरसाँ मंज़र चुप
जो तू नहीं तो मौसम-ए-मलाल भी न आएगा
हम अपनी पुश्त पर खुली बहार ले के चल दिए
अल-अमाँ कि सूरज है मेरी जान के पीछे