Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_8796e641b9957aa4b11114d7d18f67ab, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
शौक़ की कम-निगही भी है गवारा मुझ को - याक़ूब उस्मानी कविता - Darsaal

शौक़ की कम-निगही भी है गवारा मुझ को

शौक़ की कम-निगही भी है गवारा मुझ को

ग़म तो ग़म आज ख़ुशी भी है गवारा मुझ को

जुस्तुजू साथ है शम-ए-रह-ए-मंज़िल बन कर

अपनी बे-राह-रवी भी है गवारा मुझ को

लज़्ज़त-ए-ज़ीस्त ब-हर-तौर सभी को है अज़ीज़

ज़हर-ए-मीना-ए-ख़ुदी भी है गवारा मुझ को

सोज़न-ए-रहम-ओ-करम करती है क्यूँ सई-ए-रफ़ू

चाक-दामान-ए-तही भी है गवारा मुझ को

आप लिल्लाह न फ़रमाएँ ज़ियादा ज़हमत

अब तवज्जोह की कमी भी है गवारा मुझ को

सिर्फ़ तर-दामनी-ए-दिल ही पे इसरार नहीं

चश्म-ए-पुर-नम की कमी भी है गवारा मुझ को

जुरअत-ए-अर्ज़-ए-तमन्ना से हूँ बद-ज़न 'याक़ूब'

ज़ब्त की कम-सुख़नी भी है गवारा मुझ को

(862) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Shauq Ki Kam-nigahi Bhi Hai Gawara Mujhko In Hindi By Famous Poet Yaqoob Usmani. Shauq Ki Kam-nigahi Bhi Hai Gawara Mujhko is written by Yaqoob Usmani. Complete Poem Shauq Ki Kam-nigahi Bhi Hai Gawara Mujhko in Hindi by Yaqoob Usmani. Download free Shauq Ki Kam-nigahi Bhi Hai Gawara Mujhko Poem for Youth in PDF. Shauq Ki Kam-nigahi Bhi Hai Gawara Mujhko is a Poem on Inspiration for young students. Share Shauq Ki Kam-nigahi Bhi Hai Gawara Mujhko with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.