सुर्ख़ लावे की तरह तप के निखरना सीखो
सूखी धरती की दरारों से उभरना सीखो
सीना-ए-दश्त में रह रह के उतरते जाओ
या फिर आँधी की तरह खुल के गुज़रना सीखो
कोहसारों पे चढ़ो अब्र-ए-रवाँ की सूरत
आबशारों की तरह गिर के बिखरना सीखो
मक़्तल-ए-शहर में जब हर्फ़-ए-वफ़ा खो जाए
तुम किसी चीख़ की मानिंद उभरना सीखो