बहार आई है क्या क्या चाक जैब-ए-पैरहन करते

बहार आई है क्या क्या चाक जैब-ए-पैरहन करते

जो हम भी छूट जाते अब तो क्या दीवाना-पन करते

तसव्वुर उस दहान-ए-तंग का रुख़्सत नहीं देता

जो टुक दम मार सकते हम तो कुछ फ़िक्र-ए-सुख़न करते

नहीं जूँ पंजा-ए-गुल कुछ भी इन हाथों में गीराई

वगरना ये गरेबाँ नज़्र-ए-ख़ूबान-ए-चमन करते

मुसाफ़िर हो के आए हैं जहाँ में तिस पे वहशत है

क़यामत थी अगर हम इस ख़राबा में वतन करते

कोई फ़रहाद जैसे बे-ज़बाँ को क़त्ल करता है

'यक़ीं' हम वाँ अगर होते तो इक-दो बचन करते

(933) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Bahaar Aai Hai Kya Kya Chaak Jaib-e-pairahan Karte In Hindi By Famous Poet Yaqeen Inamullah Khan. Bahaar Aai Hai Kya Kya Chaak Jaib-e-pairahan Karte is written by Yaqeen Inamullah Khan. Complete Poem Bahaar Aai Hai Kya Kya Chaak Jaib-e-pairahan Karte in Hindi by Yaqeen Inamullah Khan. Download free Bahaar Aai Hai Kya Kya Chaak Jaib-e-pairahan Karte Poem for Youth in PDF. Bahaar Aai Hai Kya Kya Chaak Jaib-e-pairahan Karte is a Poem on Inspiration for young students. Share Bahaar Aai Hai Kya Kya Chaak Jaib-e-pairahan Karte with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.