उन की रफ़्तार से दिल का अजब अहवाल हुआ
उन की रफ़्तार से दिल का अजब अहवाल हुआ
रुंध गया पिस गया मिट्टी हुआ पामाल हुआ
दश्त-ए-वहशत का इलाक़ा मुझे इमसाल हुआ
दाग़-ए-सौदा सिफ़त-ए-नय्यर-ए-इक़बाल हुआ
इस बखेड़े से इलाही कहीं छुटकारा हो
इश्क़-ए-गेसू न हुआ जान का जंजाल हुआ
नज़र-ए-लुत्फ़ न की तू ने मिरे रोने पर
तिफ़्ल-ए-अश्क ऐ मह-ए-ख़ूबी न ख़ुश-इक़बाल हुआ
हैं वो सूफ़ी जो कभी नाला-ए-नाक़ूस सुना
वज्द करने लगे हम दिल का अजब हाल हुआ
पड़ गया उन पे मिरे पेच में लाने का वबाल
क्या परेशान तिरे गेसुओं का हाल हुआ
दौलत-ए-फ़क़्र हो ऐ मुनइ'मो और कमली हो
फ़ख़्र क्या है जो दो-शाला हुआ रूमाल हुआ
अपनी क़िस्मत का नविश्ता जो दिखाया हम ने
हश्र के रोज़ ग़लत नामा-ए-आमाल हुआ
आसमाँ ने मुझे महरूम-ए-शहादत रक्खा
तेग़-ए-क़ातिल के लिए बख़्त-ए-सियह-ए-ढाल हुआ
लोग कहने लगे कुंदन पे चढ़ाए मीना
सब्ज़ा-ए-ख़त से वो ख़ुश-रंग तिरा गाल हुआ
तेग़-ए-हुस्न ऐ गुल-ए-तर हो गई ख़ून-आलूदा
मुझ पे ग़ुस्से में तेरा मुँह जो बहुत लाल हुआ
ताइर-ए-दिल की लिए आप ने सय्यादी की
रिश्ता-ए-दाम-ए-बला ज़ुल्फ़ का हर बाल हुआ
ला-मकाँ तक कहीं ठहरा न मिरा पाए-ए-ख़्याल
मज़रा-ए-सब्ज़-ए-फ़लक बीच में पामाल हुआ
ऐ 'सबा' आप रिआ'यत न करें लफ़्ज़ों की
ज़र-ए-गुल पाया जो गुलचीं ने तो क्या माल हुआ
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