उम्र भर उस ने बेवफ़ाई की
उम्र से भी वो बा-वफ़ा न रहा
Rahat Indori
Allama Iqbal
Anwar Masood
Habib Jalib
Parveen Shakir
Gulzar
Mir Taqi Mir
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Wasi Shah
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धार सी ताज़ा लहू की शबनम-अफ़्शानी में है
सफ़र
चलो माना हमीं बे-कारवाँ हैं
थी नींद मेरी मगर उस में ख़्वाब उस का था
रंग और रूप से जो बाला है
पेश-गोई
रात भर इक सदा
अंधी काली रात का धब्बा
जब आँख खुली मेरी
बे-सदा दम-ब-ख़ुद फ़ज़ा से डर
अलमिया
सकता