धूप के साथ गया साथ निभाने वाला
अब कहाँ आएगा वो लौट के आने वाला
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दरमाँदा
रेज़ा रेज़ा कर जाता है
बे-ज़बाँ कलियों का दिल मैला किया
तुझे भी याद तो होगा
तुम जो आते हो
बंधन
लाज़िम कहाँ कि सारा जहाँ ख़ुश-लिबास हो
मुसाफ़िर चलते रहते हैं
बंद उस ने कर लिए थे घर के दरवाज़े अगर
रंग और रूप से जो बाला है
सकता
सुनो उजड़ा मकाँ इक बद-दुआ है