आँखों में चुभ गईं तिरी यादों की किर्चियाँ
आँखों में चुभ गईं तिरी यादों की किर्चियाँ
काँधों पे ग़म की शाल है और चाँद रात है
दिल तोड़ के ख़मोश नज़ारों का क्या मिला
शबनम का ये सवाल है और चाँद रात है
कैम्पस की नहर पर है तिरा हाथ हाथ में
मौसम भी ला-ज़वाल है और चाँद रात है
हर इक कली ने ओढ़ लिया मातमी लिबास
हर फूल पुर-मलाल है और चाँद रात है
छलका सा पड़ रहा है 'वसी' वहशतों का रंग
हर चीज़ पे ज़वाल है और चाँद रात है
(3788) Peoples Rate This