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आँखों में चुभ गईं तिरी यादों की किर्चियाँ - वसी शाह कविता - Darsaal

आँखों में चुभ गईं तिरी यादों की किर्चियाँ

आँखों में चुभ गईं तिरी यादों की किर्चियाँ

काँधों पे ग़म की शाल है और चाँद रात है

दिल तोड़ के ख़मोश नज़ारों का क्या मिला

शबनम का ये सवाल है और चाँद रात है

कैम्पस की नहर पर है तिरा हाथ हाथ में

मौसम भी ला-ज़वाल है और चाँद रात है

हर इक कली ने ओढ़ लिया मातमी लिबास

हर फूल पुर-मलाल है और चाँद रात है

छलका सा पड़ रहा है 'वसी' वहशतों का रंग

हर चीज़ पे ज़वाल है और चाँद रात है

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In Hindi By Famous Poet Wasi Shah. is written by Wasi Shah. Complete Poem in Hindi by Wasi Shah. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.