Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_3d757e5ef378879b236b1757f1cf1d44, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
सो जाऊँ पर कैसे सोया जा सकता है - वसीम ताशिफ़ कविता - Darsaal

सो जाऊँ पर कैसे सोया जा सकता है

सो जाऊँ पर कैसे सोया जा सकता है

उस को बंद आँखों से देखा जा सकता है

पानी पर तस्वीर बनाई जा सकती है

उस का नाम हवा पर लिक्खा जा सकता है

अब मैं जितनी चाहूँ ख़ाक उड़ा सकता हूँ

जितना चाहूँ उतना रोया जा सकता है

सादा-दिल देहाती था सो मान गया मैं

हालाँकि उस घर तक रिक्शा जा सकता है

क्या हम पहले जैसे भाई बन सकते हैं

इक चूल्हे पर बैठ के खाया जा सकता है

(739) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Waseem Tashif. is written by Waseem Tashif. Complete Poem in Hindi by Waseem Tashif. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.