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क्या हुआ उस ने जो आशिक़ से जफ़ाकारी की - वसीम ख़ैराबादी कविता - Darsaal

क्या हुआ उस ने जो आशिक़ से जफ़ाकारी की

क्या हुआ उस ने जो आशिक़ से जफ़ाकारी की

रूह ने जबकि न क़ालिब से वफ़ादारी की

लम्बी दाढ़ी भी किसी हाथ से रुस्वा होगी

हज़रत-ए-शैख़ सज़ा पाएँगे मक्कारी की

तू वो ज़ालिम है गया नाज़ से इतरा के जो वाँ

दावर-ए-हश्र ने भी तेरी तरफ़-दारी की

दाग़ रौशन मिरे सीने पे जो देखे उस ने

मोहर-ए-पुर-नूर पे भपती कही चिंगारी की

ग़म-ए-मजनूँ में सियह-पोश बनी है लैला

ऐ जुनूँ ये शब-ए-हिज्राँ की नहीं तारीकी

सुन लिया नाम वफ़ा का है किसी आशिक़ से

जान अब काहे को छोड़ेंगे वफ़ादारी की

एक तौबा के सिवा कुछ न किया हम ने 'वसीम'

अफ़्व के हाथ है अब शर्म गुनहगारी की

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In Hindi By Famous Poet Waseem Khairabadi. is written by Waseem Khairabadi. Complete Poem in Hindi by Waseem Khairabadi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.