हम ने उस शोख़ की रानाई क़ामत देखी
हम ने उस शोख़ की रानाई क़ामत देखी
चलती फिरती हुई तस्वीर-ए-क़यामत देखी
मोहतसिब जाम-ओ-सुबू घर में हमारे निकले
हम ने ये हज़रत-ए-ज़ाहिद की करामत देखी
मैं चला दिल का जनाज़ा जो बग़ल में ले कर
बोले मैं ने यही चलती हुई तुर्बत देखी
हम गए सू-ए-अदम तू न वहाँ से आया
नामा-बर राह तिरी ता-दम-ए-रेहलत देखी
है ये ता'बीर कि क़द पर तिरे आशिक़ होंगे
ख़्वाब में हज़रत-ए-ज़ाहिद ने क़यामत देखी
आ गई याद मुझे वाइ'ज़-ओ-नासेह की 'वसीम'
ज़ेर-ए-तुर्बत जो नकीरैन की सूरत देखी
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