वसीम ख़ैराबादी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का वसीम ख़ैराबादी
नाम | वसीम ख़ैराबादी |
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अंग्रेज़ी नाम | Waseem Khairabadi |
मौत की तिथि | 1929 |
जन्म स्थान | Uttar Pradesh |
उसे बहिश्त के ज़िंदाँ में भेज देना तुम
जुर्म इतने कर चला हूँ हश्र तक लिक्खेंगे रोज़
फ़लक बेदाद करता है जो जौर ईजाद करते हैं
आसमानों पर भी हैं चर्चे हुस्न-ए-आलमगीर के
वहाँ अब जा के देखें हम से क्या इरशाद करते हैं
शरीर तेरी तरह आँख भी तिरी होगी
क़तरे गिरे जो कुछ अरक़-ए-इंफ़िआ'ल के
फूल अपने वस्फ़ सुनते हैं उस ख़ुश-नसीब से
पत्थर नज़र थी वाइ'ज़-ए-ख़ाना-ख़राब की
नज़्अ' में प्यार से क्यूँ पूछते हो तुम मुझ को
मौत आई मुझे कूचे में तिरे जाने से
क्या हुआ उस ने जो आशिक़ से जफ़ाकारी की
कम सितम करने में क़ातिल से नहीं दिल मेरा
जाए आशिक़ की बला हश्र में क्या रक्खा है
हम ने उस शोख़ की रानाई क़ामत देखी
भर दीं शबाब ने ये उन आँखों में शोख़ियाँ