Coupletss of Waseem Barelvi
नाम | वसीम बरेलवी |
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अंग्रेज़ी नाम | Waseem Barelvi |
जन्म की तारीख | 1940 |
जन्म स्थान | Delhi |
ज़रा सा क़तरा कहीं आज अगर उभरता है
वो पूछता था मिरी आँख भीगने का सबब
वो मेरे घर नहीं आता मैं उस के घर नहीं जाता
वो झूट बोल रहा था बड़े सलीक़े से
वो ग़म अता किया दिल-ए-दीवाना जल गया
वो दिन गए कि मोहब्बत थी जान की बाज़ी
'वसीम' देखना मुड़ मुड़ के वो उसी की तरफ़
वैसे तो इक आँसू ही बहा कर मुझे ले जाए
उसी को जीने का हक़ है जो इस ज़माने में
उन से कह दो मुझे ख़ामोश ही रहने दे 'वसीम'
तुम मेरी तरफ़ देखना छोड़ो तो बताऊँ
तुम आ गए हो तो कुछ चाँदनी सी बातें हों
तुझे पाने की कोशिश में कुछ इतना खो चुका हूँ मैं
तिरे ख़याल के हाथों कुछ ऐसा बिखरा हूँ
तहरीर से वर्ना मिरी क्या हो नहीं सकता
शर्तें लगाई जाती नहीं दोस्ती के साथ
शराफ़तों की यहाँ कोई अहमियत ही नहीं
सभी रिश्ते गुलाबों की तरह ख़ुशबू नहीं देते
रख देता है ला ला के मुक़ाबिल नए सूरज
रात तो वक़्त की पाबंद है ढल जाएगी
फूल तो फूल हैं आँखों से घिरे रहते हैं
न पाने से किसी के है न कुछ खोने से मतलब है
मुसलसल हादसों से बस मुझे इतनी शिकायत है
मुझे पढ़ता कोई तो कैसे पढ़ता
मोहब्बत में बिछड़ने का हुनर सब को नहीं आता
मोहब्बत के घरों के कच्चे-पन को ये कहाँ समझें
मैं ने चाहा है तुझे आम से इंसाँ की तरह
मैं उस को पूज तो सकता हूँ छू नहीं सकता
मैं उस को आँसुओं से लिख रहा हूँ
मैं जिन दिनों तिरे बारे में सोचता हूँ बहुत