इक अधूरी सी शाम बाक़ी है
लम्हों से इंतिक़ाम बाक़ी है
सारे दुश्मन को लिख लिया उस ने
सिर्फ़ मेरा ही नाम बाक़ी है
झूमते फिर रहे हैं बस वो ही
जिन के हाथों में जाम बाक़ी है
कोई सूरत नहीं मगर उस का
कोरे काग़ज़ पे नाम बाक़ी है
तुम कहोगे तो वक़्त ले लूँ ज़रा
सुब्ह बाक़ी है शाम बाक़ी है