बुला रहे हो हमें भी मगर ख़याल रहे
हमारे साथ हमारी रिवायतें होंगी
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Habib Jalib
Wasi Shah
Gulzar
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(569) Peoples Rate This
अपने अंदर उतर रहा हूँ मैं
जिस बात को सुन कर तुझे तकलीफ़ हुई है
ख़ुश-नज़र कह के टाल दे मुझ को
तिरी नज़र में तिरे मा-सिवा नहीं होगा
किस क़दर वज़्न है ख़ताओं में
ग़ैर-मुमकिन था ये इक काम मगर हम ने किया
सदा-ए-आफ़रीं उट्ठी थी जस्त ऐसी थी