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मिरे वजूद को पामाल करना चाहता है - वक़ार मानवी कविता - Darsaal

मिरे वजूद को पामाल करना चाहता है

मिरे वजूद को पामाल करना चाहता है

जो हादसा है मुझी पर गुज़रना चाहता है

वो जुम्बिश अपने लबों को न दे ये बात अलग

अदा अदा से मगर बात करना चाहता है

कमाँ से चाहे न निकले किसी का तीर-ए-नज़र

मगर ये लगता है दिल में उतरना चाहता है

गुमाँ ये होता है तस्वीर देख कर तेरी

कि अक्स से तिरा पैकर उभरना चाहता है

ख़ुशा ये ज़ख़्म ज़हे लज़्ज़त-ए-नमक-पाशी

कुरेद लेता हूँ जब ज़ख़्म भरना चाहता है

ग़रीब को हवस-ए-ज़िंदगी नहीं होती

बस इतना है कि वो इज़्ज़त से मरना चाहता है

मैं ज़िंदगी को लिए फिर रहा हूँ कब से 'वक़ार'

ये बोझ अब मिरे सर से उतरना चाहता है

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In Hindi By Famous Poet Waqar Manvi. is written by Waqar Manvi. Complete Poem in Hindi by Waqar Manvi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.