मेरे होंटों का अभी ज़हर तिरे जिस्म में है

मेरे होंटों का अभी ज़हर तिरे जिस्म में है

तू अगर बिछड़ा तो क्या चैन से रह पाएगा

ऐ सुख़न-फ़हम मिरे शेर से क्या लगता है

क्या मिरे बा'द मुझे याद रखा जाएगा

मैं तो इस शौक़ में होता हूँ कि कुछ बोलें लोग

बोलना अपना कभी रंग तो दिखलाएगा

तू जो अब साथ नहीं है तो यही लगता है

अब ख़ुदा भी तो मिरे काम नहीं आएगा

जो भी कहना है यहाँ झूट के अंदाज़ में कह

सच अगर तू ने कभी बोला तो पछताएगा

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In Hindi By Famous Poet Waqar Khan. is written by Waqar Khan. Complete Poem in Hindi by Waqar Khan. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.