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वक़ार ख़ान Ghazal In Hindi - Best वक़ार ख़ान Ghazal Shayari & Poems - Darsaal

Ghazals of Waqar Khan

Ghazals of Waqar Khan
नामवक़ार ख़ान
अंग्रेज़ी नामWaqar Khan
जन्म स्थानMultan,Pakistan

ज़ियादा सोचने वाले तुझे पता नहीं है

ज़ख़्म खाते हैं जी जलाते हैं

ये मानता हूँ कि सौ बार झूट कहता है

वो ज़िम्मेदारी कितनी ख़ुशी से निभाई थी

वो मेरा यार है पर मेरी मानता नहीं है

सिदरत-उल-वस्ल के साए का तलबगार हूँ मैं

मेरे होंटों का अभी ज़हर तिरे जिस्म में है

मन की मय हो तो पियाले नहीं देखे जाते

ख़ता क़ुबूल नहीं है तो ख़ुद ख़ता कर देख

कभी सिसकी कभी आवाज़ा सफ़र जारी है

जो तुझे और मुझे एक कर सका नहीं

जहाँ पे इल्म की कोई क़द्र और हवाला नहीं

देख पगली न दल लगा मिरे साथ

बे-मिस्ल-ओ-बे-हिसाब उजालों के बा'द भी

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