बरसों बा'द मिला तो उस ने हम से पूछा कैसे हो

बरसों बा'द मिला तो उस ने हम से पूछा कैसे हो

शहर-ए-निगाराँ के मरकज़ थे तन्हा तन्हा कैसे हो

वो कुछ मेरे दर्द को बाँटे मैं कुछ उस के ग़म ले लूँ

ऐसा हो तो क्या अच्छा हो लेकिन ऐसा कैसे हो

चेहरे पर जो हरियाली थी वो शहरों में ज़र्द हुई

गाँव का मुखिया पूछ रहा है मेरे भय्या कैसे हो

उठती हुई मौजों के नीचे कितना गहरा पानी है

हम जैसे कुछ लोग न डूबें तो अंदाज़ा कैसे हो

तेज़-ओ-तुंद हवा के हाथों क्या बीते ये बात अलग

शाख़ें जब तक साथ न छोड़ें पत्ता पीला कैसे हो

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In Hindi By Famous Poet Waqar Fatmi. is written by Waqar Fatmi. Complete Poem in Hindi by Waqar Fatmi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.