एक इशारे में बदल जाता है मयख़ाने का नाम
एक इशारे में बदल जाता है मयख़ाने का नाम
चश्म-ए-साक़ी तेरी गर्दिश से है पैमाने का नाम
पहले था मौज-ए-बहाराँ दिल के लहराने का नाम
मस्कन-ए-बर्क़-ए-तपाँ है अब तो काशाने का नाम
आस जिस की इब्तिदा थी यास जिस की इंतिहा
ऐ दिल-ए-नाकाम क्या हो ऐसे अफ़्साने का नाम
रंग ला कर ही रहा आख़िर मोहब्बत का असर
आज तो उन की ज़बाँ पर भी है दीवाने का नाम
आसमाँ पर बर्क़ गुलशन में सबा दरिया में मौज
जिस जगह देखो नया है ज़ुल्फ़ लहराने का नाम
मौत हो या वो हों दोनों हैं इलाज-ए-दर्द-ए-दिल
वा-ए-क़िस्मत एक भी लेता नहीं आने का नाम
ज़ुल्फ़-ए-मुश्कीं लाला-रुख़ गुल-पैरहन मस्त-ए-बहार
मौसम-ए-गुल है तुम्हारे बाम पर आने का नाम
इश्क़ की तस्वीर का ये दूसरा रुख़ है 'वक़ार'
शम्अ' जलती है मगर होता है परवाने का नाम
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