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तक़्सीर क्या है हसरत-ए-दीदार ही तो है - वामिक़ जौनपुरी कविता - Darsaal

तक़्सीर क्या है हसरत-ए-दीदार ही तो है

तक़्सीर क्या है हसरत-ए-दीदार ही तो है

पादाश उस की हुस्न का पिंदार ही तो है

क्या पूछते हो मेरा फ़साना नया नहीं

क्या देखते हो इश्क़ सर-ए-दार ही तो है

बंद-ए-क़बा चटकता हुआ ग़ुंचा-ए-गुलाब

पहलू-ए-यार निकहत-ए-गुलज़ार ही तो है

हम-साएगी में उस की है क्या लुत्फ़ इन दिनों

लेकिन ये लुत्फ़-ए-साया-ए-दीवार ही तो है

ऐ बाग़बाँ ब-नाम-ए-बहाराँ न छेड़ उसे

गुलज़ार में मुहाफ़िज़-ए-गुल ख़ार ही तो है

साज़-ए-हयात हम-नफ़सो ख़ूब है मगर

कब टूट जाए साँस का इक तार ही तो है

मैं तंग हूँ सुकून से अब इज़्तिराब दे

बे-इंतिहा सुकून भी आज़ार ही तो है

ख़ुद जिस में कुछ न पाया न औरों को कुछ दिया

फ़िल-अस्ल ऐसी ज़िंदगी बेकार ही तो है

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In Hindi By Famous Poet Wamiq Jaunpuri. is written by Wamiq Jaunpuri. Complete Poem in Hindi by Wamiq Jaunpuri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.