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हमारे मय-कदे का अब निज़ाम बदलेगा - वामिक़ जौनपुरी कविता - Darsaal

हमारे मय-कदे का अब निज़ाम बदलेगा

हमारे मय-कदे का अब निज़ाम बदलेगा

हम अपना साक़ी बदल देंगे जाम बदलेगा

अभी तो चंद ही मय-कश हैं बाक़ी सब तिश्ना

वो वक़्त आएगा जब तिश्ना-काम बदलेगा

ये उल्टी उल्टी हवाएँ हैं वजह-ए-सुस्त-रवी

हवाएँ बदलेंगी तर्ज़-ए-ख़िराम बदलेगा

बदलती रहती हैं क़द्रें रहील-ए-वक़्त के साथ

ज़माना बदलेगा हर शय का नाम बदलेगा

हम अपनी तल्ख़-नवाई में रंग भर देंगे

हमारे साथ हमारा कलाम बदलेगा

ये अर्श ओ फ़र्श की तफ़रीक़ कुछ नहीं 'वामिक़'

बुलंद ओ पस्त का मेयार-ए-ख़ाम बदलेगा

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In Hindi By Famous Poet Wamiq Jaunpuri. is written by Wamiq Jaunpuri. Complete Poem in Hindi by Wamiq Jaunpuri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.