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दिल परेशाँ है न जाने किस लिए - वामिक़ जौनपुरी कविता - Darsaal

दिल परेशाँ है न जाने किस लिए

दिल परेशाँ है न जाने किस लिए

हश्र-सामाँ है न जाने किस लिए

पुर-सुकूँ गहराइयों में ज़ब्त की

शोर-ए-तूफ़ाँ है न जाने किस लिए

लाख आबाद-ए-तमन्ना हो के दिल

फिर भी वीराँ है न जाने किस लिए

मेरी बर्बादी पे मेरा हर नफ़स

ज़हर-ख़ंदाँ है न जाने किस लिए

तिश्ना-ए-हिम्मत जो था ज़ौक़-ए-फ़ना

आज आसाँ है न जाने किस लिए

ख़ाली अज़ इल्लत नहीं उन का करम

मुझ पे एहसाँ है न जाने किस लिए

देखिए गिरती है ये बिजली कहाँ

वो पशीमाँ है न जाने किस लिए

नौ-ए-इंसाँ फ़स्ल-ए-आज़ादी में भी

पा-ब-जौलाँ है न जाने किस लिए

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In Hindi By Famous Poet Wamiq Jaunpuri. is written by Wamiq Jaunpuri. Complete Poem in Hindi by Wamiq Jaunpuri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.