Ghazals of Wamiq Jaunpuri
नाम | वामिक़ जौनपुरी |
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अंग्रेज़ी नाम | Wamiq Jaunpuri |
जन्म की तारीख | 1909 |
मौत की तिथि | 1998 |
जन्म स्थान | Jaunpur |
ज़हराब पीने वाले अमर हो के रह गए
ज़बाँ तक जो न आए वो मोहब्बत और होती है
वो तन्हा मेरे ही दरपय नहीं है
उम्र की रौ बदल गई शायद
तुझ से मिल कर दिल में रह जाती है अरमानों की बात
तक़्सीर क्या है हसरत-ए-दीदार ही तो है
सुर्ख़ दामन में शफ़क़ के कोई तारा तो नहीं
शीशा उस का अजीब है ख़ुद ही
शमएँ रौशन हैं आबगीनों में
साज़-ए-हस्ती में कुछ सदा ही नहीं
रहना तुम चाहे जहाँ ख़बरों में आते रहना
रात के समुंदर में ग़म की नाव चलती है
क़िर्तास पे नक़्शे हमें क्या क्या नज़र आए
नए गुल खिले नए दिल बने नए नक़्श कितने उभर गए
मिरे फ़िक्र ओ फ़न को नई फ़ज़ा नए बाल-ओ-पर की तलाश है
ख़लिश सुकूँ का मुदावा नहीं तो कुछ भी नहीं
कहीं साक़ी का फ़ैज़-ए-आम भी है
जो दश्त ख़्वाबों में अक्सर दिखाई देता है
जीने का लुत्फ़ कुछ तो उठाओ नशे में आओ
इस तरह से कश्ती भी कोई पार लगे है
हुज़ूर-ए-यार भी आज़ुर्दगी नहीं जाती
हो रही है दर-ब-दर ऐसी जबीं-साई कि बस
हमारे मय-कदे का अब निज़ाम बदलेगा
हालात से फ़रार की क्या जुस्तुजू करें
फ़नकार के काम आई न कुछ दीदा-वरी भी
दीवाने दीवाने ठहरे खेल गए अँगारों से
दिल तोड़ कर वो दिल में पशीमाँ हुआ तो क्या
दिल परेशाँ है न जाने किस लिए
दिल के वीराने को यूँ आबाद कर लेते हैं हम
दिल अज़ल से मरकज़-ए-आलाम है