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वामिक़ जौनपुरी Couplets In Hindi - Best वामिक़ जौनपुरी Couplets Shayari & Poems - Page 1 - Darsaal

Coupletss of Wamiq Jaunpuri (page 1)

Coupletss of Wamiq Jaunpuri (page 1)
नामवामिक़ जौनपुरी
अंग्रेज़ी नामWamiq Jaunpuri
जन्म की तारीख1909
मौत की तिथि1998
जन्म स्थानJaunpur

ज़बाँ तक जो न आए वो मोहब्बत और होती है

ये ज़िंदगी की रात है तारीक किस क़दर

ये माना शीशा-ए-दिल रौनक़-ए-बाज़ार-ए-उल्फ़त है

ये हम को छोड़ के तन्हा कहाँ चले 'वामिक़'

यक़ीनन आ गया है मय-कदे में तिश्ना-लब कोई

वो वादे याद नहीं तिश्ना है मगर अब तक

वो तो कहिए आज भी ज़ंजीर में झंकार है

वो लम्हा भर की मिली ख़ुल्द में जो आज़ादी

वो जो तस्बीह लिए है उस को

उसे ज़िद कि 'वामिक़'-ए-शिकवा-गर किसी राज़ से न हो बा-ख़बर

तुम होश में जब आए तो आफ़त ही बन के आए

तेरी क़िस्मत ही में ज़ाहिद मय नहीं

सरकशी ख़ुद-कशी पे ख़त्म हुई

रहना तुम चाहे जहाँ ख़बरों में आते रहना

रात भी मुरझा चली चाँद भी कुम्हला गया

पी लिया करते हैं जीने की तमन्ना में कभी

पहचान लो उस को वही क़ातिल है हमारा

नहीं मिलते तो इक अदना शिकायत है न मिलने की

न पूछो बेबसी उस तिश्ना-लब की

मुझे उस जुनूँ की है जुस्तुजू जो चमन को बख़्श दे रंग ओ बू

मोहब्बत की सज़ा तर्क-ए-मोहब्बत

मिरे फ़िक्र ओ फ़न को नई फ़ज़ा नए बाल-ओ-पर की तलाश है

मैं तंग हूँ सुकून से अब इज़्तिराब दे

ले के तेशा उठा है फिर मज़दूर

लाख आबाद-ए-तमन्ना हो के दिल

किस ने बसाया था और उन को किस ने यूँ बर्बाद किया

कौन सुनता है भिकारी की सदाएँ इस लिए

जब पुराना लहजा खो देता है अपनी ताज़गी

इस दौर की तख़्लीक़ भी क्या शीशागरी है

हम न कहते थे शाइरी है वबाल

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