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कल तलक जो था तसव्वुर अंजुमन-आराइयों का - वलीउल्लाह वली कविता - Darsaal

कल तलक जो था तसव्वुर अंजुमन-आराइयों का

कल तलक जो था तसव्वुर अंजुमन-आराइयों का

वो मुक़द्दर बन गया है अब मिरी तन्हाइयों का

ज़िंदगानी फिर बिखरने टूटने वाली है शायद

ऐ ज़मीं फिर आ गया मौसम तिरी अंगड़ाइयों का

इस जहाँ में आज जिस के सर पे ताज-ए-ख़ुसरवी है

सारा क़िस्सा बस इसी के नाम है दानाइयों का

आदमी मुझ को बनाया है उन्ही रुस्वाइयों ने

है अज़ल से साथ मेरा और मिरी रुस्वाइयों का

ऐ 'वली' रिश्ता समुंदर से है दिल का कुछ यक़ीनन

कोई अंदाज़ा लगा पाया न उन गहराइयों का

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In Hindi By Famous Poet Waliullah Wali. is written by Waliullah Wali. Complete Poem in Hindi by Waliullah Wali. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.