Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_1ed451c4b7bd8037dad055f3bc10be82, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
आप की नज़रों में शायद इस लिए अच्छा हूँ मैं - वलीउल्लाह वली कविता - Darsaal

आप की नज़रों में शायद इस लिए अच्छा हूँ मैं

आप की नज़रों में शायद इस लिए अच्छा हूँ मैं

देखता सुनता हूँ सब कुछ फिर भी चुप रहता हूँ मैं

इस लिए मुझ से ख़फ़ा रहती है अक्सर ये ज़मीं

आसमाँ को सर पे ले कर घूमता फिरता हूँ मैं

ख़ाक में मिलना ही अश्कों का मुक़द्दर है मगर

क्या ये कम है उस की पलकों पर अभी ठहरा हूँ मैं

ख़ार ही को हो मुबारक ख़ार की उम्र-ए-दराज़

गुल-सिफ़त हूँ बस जवाँ होते ही मर जाता हूँ मैं

बादलों को शायद इस का कोई अंदाज़ा नहीं

ऐन दरिया में हूँ लेकिन किस क़दर प्यासा हूँ मैं

ग़म-ज़दा दिल को सितम से दूर रखने के लिए

बारहा ख़ुद अपने ही दिल पर सितम ढाता हूँ मैं

क्यूँ वो मेरे सामने आने से डरता है 'वली'

ख़ामुशी फ़ितरत है मेरी एक आईना हूँ मैं

(763) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Waliullah Wali. is written by Waliullah Wali. Complete Poem in Hindi by Waliullah Wali. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.