मिल उस परी से क्या क्या हुआ दिल
मिल उस परी से क्या क्या हुआ दिल
शैदा हुआ दिल रुस्वा हुआ दिल
बर्क़-ए-तजल्ली देख उस निगह की
जूँ तूर जल कर सुर्मा हुआ दिल
उस संग-दिल की मय-ख़्वारगी से
ख़ून-ए-जिगर में मीना हुआ दिल
हैं मुनक़सिम ये ख़ूँ-बार आँखें
जिन की बदौलत दरिया हुआ दिल
जोश-ए-जुनूँ से इश्क़-ए-बुताँ में
सीना हुआ कोह-ए-सहरा हुआ दिल
सोज़ाँ है अज़ बस दाग़-ए-मोहब्बत
इक इक का सा शो'ला हुआ दिल
यूँही 'मुहिब' थी ख़्वाहिश ख़ुदा की
अब तो बुताँ का बंदा हुआ दिल
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