ख़ुदा किसी कूँ किसी साथ आश्ना न करे
ख़ुदा किसी कूँ किसी साथ आश्ना न करे
वगर्ना यार कूँ आशिक़ सूँ बेवफ़ा न करे
भली हवा-ए-क़यामत अज़ाब-ए-हश्र की सुल्ह
वले किसी को ख़ुदा किस का मुब्तला न करे
सुन इल्तिमास न कर अब सूँ तूँ जुदा मुझ को
रुला न हँस के तूँ कह कह ''अजी ख़ुदा न करे''
किसी सनम कूँ ऐ ज़ाहिद तूँ दिल न दे बोझा
वो बंदा किया जो मुक़र्रर कोई ख़ुदा न करे
तिरी निगाह-ए-ख़ुनुक ने जो दिल सूँ गर्मी की
कली उपर ये नवाज़िश कभू सबा न करे
लगा चुराने वो क़स्साब हम सूँ ख़ंजर-ए-चश्म
हमारे हक़ में कोई ख़ैर की दुआ न करे
मुहीत-ए-यास में तुम ने डुबाई कश्ती-ए-दिल
ख़ुदा किसी कूँ ख़ुदा-फ़हम ना-ख़ुदा न करे
चमन में देख कहा मुझ को पी ने आँख दिखा
मरीज़-ए-इश्क़ की दारू यही दवा न करे
किसी कूँ हक़ न करे शाम-ए-हिज्र-ए-यार की शम्अ'
किसे बग़ैर अजल रंजा-ए-फ़ना न करे
दिया पतंग कूँ गर्म-उल्फ़ती सूँ सोज़ाँ है
वो जुज़-दुआ दिल-ए-आशिक़ बने दुआ न करे
जो तेग़-ए-अबरू-ए-जानाँ का साया-पर्वर है
वो 'उज़लत' आरज़ू-ए-शहपर-ए-हुमा न करे
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