दर्द जूँ शम्अ' मिले है शब-ए-हिज्राँ मुझ को

दर्द जूँ शम्अ' मिले है शब-ए-हिज्राँ मुझ को

खा गए रो-रो मिरे दीदा-ए-गिर्यां मुझ को

नौ-बहार आई मुबारक हुए जूँ ग़ुंचा-ओ-गुल

ख़ातिर-जमअ' तुझे हाल-ए-परेशाँ मुझ को

गर दम-ए-सुब्ह शहीदान-ए-चमन सैर करो

तेग़-ए-क़ातिल है दम-ए-मिन्नत-ए-एहसाँ मुझ को

जूँ बघोला है मुझे ख़जलत-ए-इस्याँ दम-ए-फ़ख़्र

बाल-ए-पर्वाज़ हुए दस्त-ए-पशेमाँ मुझ को

आफ़्ताब-ए-दिल-ए-रौशन दिया सौदा ने मुझे

सुब्ह-ए-हादी हुआ ये चाक गरेबाँ मुझ को

धुन में इस चश्म की रोऊँ जहाँ नर्गिस आगे

सज्दा करते हैं बयाबाँ में ग़ज़ालाँ मुझ को

मुश्त-ए-वहदत हो बघोले सा करूँ अपना तवाफ़

गर्दिश-ए-सर हुआ जाम-ए-मय-ए-इरफ़ाँ मुझ को

देख कर गाल तिरे ज़ुल्फ़ के हल्क़े से हुई

मतला-ए-सुब्ह-ए-वतन शाम-ए-ग़रीबाँ मुझ को

पूछा क़ुमरी से किसी ने तिरा हाज़िर है सर्व

बोल क्यूँ करती है कूकू की तो अफ़्ग़ाँ मुझ को

तब कही सर्व ढूँडूँ हूँ मैं वफ़ादारी में

तन में रखता है वफ़ा आ के जिला जाँ मुझ को

ज़ाग़ को सर पे बिठाते हैं मैं जल कर हुई राख

दोज़ख़ इस रश्क से है ख़ुल्द गुलिस्ताँ मुझ को

जाम दे साक़ी नौ 'उज़लत' को कि जाती है बहार

रोवे है फ़स्ल-ए-गुल-ओ-अब्र-ए-बहाराँ मुझ को

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In Hindi By Famous Poet Wali Uzlat. is written by Wali Uzlat. Complete Poem in Hindi by Wali Uzlat. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.