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Wali Uzlat Poetry In Hindi - Best Wali Uzlat Shayari, Sad Ghazals, Love Nazams, Romantic Poetry In Hindi - Darsaal

वली उज़लत कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का वली उज़लत

वली उज़लत कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का वली उज़लत
नामवली उज़लत
अंग्रेज़ी नामWali Uzlat
जन्म की तारीख1692
मौत की तिथि1775

वो पल में जल बुझा और ये तमाम रात जला

उस को पहुँची ख़बर कि जीता हूँ

तिरी ज़ुल्फ़ की शब का बेदार मैं हूँ

तिरी वहशत की सरसर से उड़ा जूँ पात आँधी का

तल्ख़ लगता है उसे शहर की बस्ती का स्वाद

सिया है ज़ख़्म-ए-बुलबुल गुल ने ख़ार और बोईगुलशन से

सख़्त पिस्ताँ तिरे चुभे दिल में

पीर हो शैख़ हुआ है देखो तिफ़्लों का मुरीद

मोहकमे में इश्क़ के है यारो दीवाने का शोर

मैं सहरा जा के क़ब्र-ए-हज़रत-ए-मजनूँ को देखा था

कुछ ग़ौर का जौहर नहीं ख़ुद-फ़हमी में हैराँ हैं

कहा जो मैं ने गया ख़त से हाए तेरा हुस्न

जो हम ये तिफ़लों के संग-ए-जफ़ा के मारे हैं

जो आशिक़ हो उसे सहरा में चल जाने से क्या निस्बत

जिस पर नज़र पड़े उसे ख़ुद से निकालना

जावे थी जासूसी-ए-मजनूँ को ता राहत न ले

जपे है विर्द सा तुझ से सनम के नाम को शैख़

जल्द मर गए तिरी हसरत सेती हम

जा कर फ़ना के उस तरफ़ आसूदा मैं हुआ

इश्क़ गोरे हुस्न का आशिक़ के दिल को दे जला

इस ज़माने में बुज़ुर्गी सिफ़्लगी का नाम है

हम उस की ज़ुल्फ़ की ज़ंजीर में हुए हैं असीर

हिन्दू ओ मुस्लिमीन हैं हिर्स-ओ-हवा-परसत

ग़नीमत बूझ लेवें मेरे दर्द-आलूद नालों को

गए सब मर्द रह गए रहज़न अब उल्फ़त से कामिल हूँ

बाद-ए-बहार में सब आतिश जुनून की है

ऐ सालिक इंतिज़ार-ए-हज में क्या तू हक्का-बक्का है

यार उठ गए दुनिया से अग़्यार की बारी है

वो क्या दिन थे जो क़ातिल-बिन दिल-ए-रंजूर रो देता

वक़्त बोसे के मिरा मुँह उस के लब से जूँ जुड़ा

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