किशन की गोपियाँ की नईं है ये नस्ल
रहें सब गोपियाँ वो नक़्ल ये अस्ल
Habib Jalib
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Rahat Indori
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Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Jaun Eliya
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सोहबत-ए-ग़ैर मूं जाया न करो
फिर मेरी ख़बर लेने वो सय्याद न आया
हुआ ज़ाहिर ख़त-ए-रू-ए-निगार आहिस्ता-आहिस्ता
जब तुझ अरक़ के वस्फ़ में जारी क़लम हुआ
सजन टुक नाज़ सूँ मुझ पास आ आहिस्ता आहिस्ता
देखना हर सुब्ह तुझ रुख़्सार का
हुए हैं राम पीतम के नयन आहिस्ता-आहिस्ता
दिल तलबगार-ए-नाज़-ए-मह-वश है
मत ग़ुस्से के शो'ले सूँ जलते कूँ जलाती जा
छुपा हूँ मैं सदा-ए-बाँसुली में
शग़्ल बेहतर है इश्क़-बाज़ी का