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तख़्त जिस बे-ख़ानमाँ का दस्त-ए-वीरानी हुआ - वली मोहम्मद वली कविता - Darsaal

तख़्त जिस बे-ख़ानमाँ का दस्त-ए-वीरानी हुआ

तख़्त जिस बे-ख़ानमाँ का दस्त-ए-वीरानी हुआ

सर उपर उस के बगूला ताज-ए-सुल्तानी हुआ

क्यूँ न साफ़ी उस कूँ हासिल हो जो मिस्ल-ए-आरसी

अपने जौहर की हया सूँ सर-ब-सर पानी हुआ

ज़िंदगी है जिस कूँ दाइम आलम-ए-बाक़ी मुनीं

जल्वा-गर कब उस अंगे यू आलम-ए-फ़ानी हुआ

बेकसी के हाल में यक आन मैं तन्हा नहीं

ग़म तिरा सीने में मेरे हमदम-ए-जानी हुआ

ऐ 'वली' ग़ैरत सूँ सूरज क्यूँ जले नईं रात-दिन

जग मुनीं वो माह रश्क-ए-माह-ए-कनआनी हुआ

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In Hindi By Famous Poet Wali Mohammad Wali. is written by Wali Mohammad Wali. Complete Poem in Hindi by Wali Mohammad Wali. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.