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छुपा हूँ मैं सदा-ए-बाँसुली में - वली मोहम्मद वली कविता - Darsaal

छुपा हूँ मैं सदा-ए-बाँसुली में

छुपा हूँ मैं सदा-ए-बाँसुली में

कि ता जाऊँ परी-रू की गली में

न थी ताक़त मुझे आने की लेकिन

ब-ज़ोर-ए-आह पहुँचा तुझ गली में

अयाँ है रंग की शोख़ी सूँ ऐ शोख़

बदन तेरा क़बा-ए-संदली में

जो है तेरे दहन में रंग ओ ख़ूबी

कहाँ ये रंग ये ख़ूबी कली में

किया जियूँ लफ़्ज़ में मअ'नी सिरीजन

मक़ाम अपना दिल-ओ-जान-ए-'वली' में

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In Hindi By Famous Poet Wali Mohammad Wali. is written by Wali Mohammad Wali. Complete Poem in Hindi by Wali Mohammad Wali. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.