सफ़र है ख़त्म मगर बे-घरी न जाएगी

सफ़र है ख़त्म मगर बे-घरी न जाएगी

हमारे घर से ये पैग़म्बरी न जाएगी

नज़र गँवा भी चुके तुझ को देखने वाले

उफ़ुक़ उफ़ुक़ तिरी जल्वा-गरी न जाएगी

मैं अपने ख़्वाब तराशूँ इन्हें बिखेरूँ भी

मिरी सरिश्त से ये आज़री न जाएगी

हसीं है शीशा-ओ-आहन का इम्तिज़ाज मगर

तिरी सियासत-ए-आहन-गरी न जाएगी

मैं सब के ज़ख़्म चुनूँ फिर उन्हें ज़बानें दूँ

बला से दिल की मिरे अबतरी न जाएगी

अगरचे सर्द बहुत है दयार-ए-क़ुतुब-ए-शुमाल

सुख़न-वरों की सुख़न-परवरी न जाएगी

(578) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Wali Alam Shaheen. is written by Wali Alam Shaheen. Complete Poem in Hindi by Wali Alam Shaheen. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.