मौज-ए-हवा आब-ए-रवाँ और ये ज़मीन ओ आसमाँ
इक रोज़ सब जाएँगे थक अल्लाह बस बाक़ी हवस
Habib Jalib
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
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हम हार गए तुम जीत गए हम ने खोया तुम ने पाया
हमें अंजाम भी मालूम है लेकिन न जाने क्यूँ
सब बिछड़े साथी मिल जाएँ मुरझाएँ चेहरे खिल जाएँ
उन्हें भी जीने के कुछ तजरबे हुए होंगे
मिल भी जाते हैं तो कतरा के निकल जाते हैं
हमारे शहर में अब हर तरफ़ वहशत बरसती है
दिन भर ग़मों की धूप में चलना पड़ा मुझे
तुझ से बिछड़ के यूँ तो बहुत जी उदास है
मुसल्ला रखते हैं सहबा-ओ-जाम रखते हैं
फूल से मासूम बच्चों की ज़बाँ हो जाएँगे
हमें तेरे सिवा इस दुनिया में किसी और से क्या लेना-देना