Ghazals of Wali Aasi
नाम | वाली आसी |
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अंग्रेज़ी नाम | Wali Aasi |
जन्म स्थान | Lucknow |
यूँ तो हँसते हुए लड़कों को भी ग़म होता है
वो सूरतें जो बड़ी शोख़ हैं सजीली हैं
तुझ से बिछड़ के यूँ तो बहुत जी उदास है
सुनो ये ग़म की सियह रात जाने वाली है
फूल से मासूम बच्चों की ज़बाँ हो जाएँगे
फूल से मासूम बच्चों की ज़बाँ हो जाएँगे
फिर वही रेग-ए-बयाबाँ का है मंज़र और हम
मिल भी जाते हैं तो कतरा के निकल जाते हैं
मैं जब छोटा सा था काग़ज़ पे ये मंज़र बनाता था
क्या हिज्र में जी निढाल करना
कुछ दिन तिरा ख़याल तिरी आरज़ू रही
जिन की यादें हैं अभी दिल में निशानी की तरह
जी का जंजाल है इश्क़ मियाँ क़िस्सा ये तमाम करो 'वाली'
इश्क़ की राह में यूँ हद से गुज़र मत जाना
हम जो दिन-रात ये इत्र-ए-दिल-ओ-जाँ खींचते हैं
हम अपने-आप पे भी ज़ाहिर कभी दिल का हाल नहीं करते
दिन भर ग़मों की धूप में चलना पड़ा मुझे
छतरी लगा के घर से निकलने लगे हैं हम
भूले-बिसरे हुए ग़म याद बहुत करता है
ब-रंग-ए-नग़मा बिखर जाना चाहते हैं हम
बहुत दिन से कोई मंज़र बनाना चाहते हैं हम
आरज़ू ले के कोई घर से निकलते क्यूँ हो
आज तक जो भी हुआ उस को भुला देना है