किसी सूरत कोई सूरत निकालो
मुझे बे-मौत मरने से बचा लो
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अब नींद कहाँ आँखों में शोला सा भरा है
झुक के जो आप से मिलता होगा
वो जो वीरान फिरा करता है
जहालत का मंज़र जो राहों में था
यूँ तो तन्हाई में घबराए बहुत
उस शख़्स के ग़म का कोई अंदाज़ा लगाए