वो जो वीरान फिरा करता है
उस के सर में कोई सहरा होगा
तुझ से दिल तेरे परस्तारों का
टूटते टूटते टूटा होगा
झुक के जो आप से मिलता होगा
उस का क़द आप से ऊँचा होगा
वो जो मरने पे तुला है 'अख़्तर'
उस ने जी कर भी तो देखा होगा
Javed Akhtar
Gulzar
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अब नींद कहाँ आँखों में शोला सा भरा है
जहालत का मंज़र जो राहों में था
किसी सूरत कोई सूरत निकालो
उस शख़्स के ग़म का कोई अंदाज़ा लगाए
यूँ तो तन्हाई में घबराए बहुत