पड़ा है पाँव में अब सिलसिला मोहब्बत का
पड़ा है पाँव में अब सिलसिला मोहब्बत का
बुरा हमारा हुआ हो भला मोहब्बत का
जमाल-ए-साफ़ की मूसा को ताब कब आई
जो देखिए तो है तालिब ख़ुदा मोहब्बत का
हर एक दर पे है गर्दिश में मेरा कासा-ए-चश्म
वो शाह-ए-हुस्न हुआ ये गदा मोहब्बत का
न सीम-ओ-ज़र की है हाजत न कुछ हुकूमत की
उगाल दे के दिया ख़ूँ-बहा मोहब्बत का
किधर से जाता था 'अख़्तर' ये क्या हुआ अफ़्सोस
ख़ुदा बचाए हुआ सामना मोहब्बत का
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