Ghazals of Wajeeh Sani
नाम | वजीह सानी |
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अंग्रेज़ी नाम | Wajeeh Sani |
क़स्में वा'दे रह जाते हैं
मोहब्बत के तआ'क़ुब में थकन से चूर होने तक
मिरे अंदर कहीं पर खो गई है
क्या बताएँ उस के बिन कैसे ज़िंदगी कर ली
होंट मसरूफ़-ए-दुआ आँख सवाली क्यूँ है
गिले शिकवे के दफ़्तर आ गए तुम
इक मोहब्बत का फ़ुसूँ था सो अभी बाक़ी है
दम-ए-विसाल ये हसरत रही रही न रही
अपने अंदाज़ में औरों से जुदा लगते हो
अच्छा हुआ कि इश्क़ में बर्बाद हो गए