Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_85ff9fc3ba8f4cfda6900c8228ac1d6e, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
फ़ज़ा में दाएरे बिखरे हुए हैं - वजद चुगताई कविता - Darsaal

फ़ज़ा में दाएरे बिखरे हुए हैं

फ़ज़ा में दाएरे बिखरे हुए हैं

हम अपनी ज़ात में उलझे हुए हैं

हज़ार ख़्वाहिशों के बुत हैं दिल में

मगर बुत भी कभी सच्चे हुए हैं

शनासाई मोहब्बत बेवफ़ाई

ये सब कोई मिरे देखे हुए हैं

है उन का ज़िक्र इतना महफ़िलों में

हम अपनी दास्ताँ भूले हुए हैं

हुई है सब्त उन पर मोहर-ए-आलम

वही जो फ़ैसले दिल से हुए हैं

ये दिल जब तक ज़रा ठहरा हुआ है

उसी के दम से हम ठहरे हुए हैं

जलाओ दिल कि हर साया हो रौशन

अँधेरे चैन से बैठे हुए हैं

जो आँसू वक़्त-ए-रुख़्सत थे अमानत

वो अब तक रूह में तैरे हुए हैं

बहुत लोगों ने की है दर्द-मंदी

मगर ये ज़ख़्म कब अच्छे हुए हैं

गुज़र जाते न जाने कितने तूफ़ाँ

ये दो आँखें उन्हें रोके हुए हैं

(723) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Wajd Chughtai. is written by Wajd Chughtai. Complete Poem in Hindi by Wajd Chughtai. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.