मुझ से जो न मिलते वो कोई रात न थी
मुझ से जो न मिलते वो कोई रात न थी
मुझ से जो न कहते वो कोई बात न थी
बेगानगी अब उन्हों ने ऐसी बरती
गोया कि कभी मुझ से मुलाक़ात न थी
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मुझ से जो न मिलते वो कोई रात न थी
मुझ से जो न कहते वो कोई बात न थी
बेगानगी अब उन्हों ने ऐसी बरती
गोया कि कभी मुझ से मुलाक़ात न थी
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