उस दिल-नशीं अदा का मतलब कभी न समझे
जब हम ने कुछ कहा है वो मुस्कुरा दिए हैं
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क़द्रदानी की कैफ़ियत मालूम
दर्द आ के बढ़ा दो दिल का तुम ये काम तुम्हें क्या मुश्किल है
सुरूर-अफ़्ज़ा हुई आख़िर शराब आहिस्ता आहिस्ता
दिल तोड़ दिया तुम ने मेरा अब जोड़ चुके तुम टूटे को
बेजा है तिरी जफ़ा का शिकवा
तेरा मरना इश्क़ का आग़ाज़ था
ज़बरदस्ती ग़ज़ल कहने पे तुम आमादा हो 'वहशत'
मजाल-ए-तर्क-ए-मोहब्बत न एक बार हुई
मुझ से जो न मिलते वो कोई रात न थी
दोनों ने किया है मुझ को रुस्वा
मेरा मक़्सद कि वो ख़ुश हों मिरी ख़ामोशी से
सच कहा है कि ब-उम्मीद है दुनिया क़ाइम