तू हम से है बद-गुमाँ सद अफ़्सोस
तेरे ही तो जाँ-निसार हैं हम
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वफ़ा-ए-दोस्ताँ कैसी जफ़ा-ए-दुश्मनाँ कैसी
दिल को हम कब तक बचाए रखते हर आसेब से
ज़ब्त की कोशिश है जान-ए-ना-तवाँ मुश्किल में है
इस ज़माने में ख़मोशी से निकलता नहीं काम
कहते हो अब मिरे मज़लूम पे बेदाद न हो
वो काम मेरा नहीं जिस का नेक हो अंजाम
तू है और ऐश है और अंजुमन-आराई है
यहाँ हर आने वाला बन के इबरत का निशाँ आया
न वो पूछते हैं न कहता हूँ मैं
सच कहा है कि ब-उम्मीद है दुनिया क़ाइम
निशान-ए-मंज़िल-ए-जानाँ मिले मिले न मिले
कठिन है काम तो हिम्मत से काम ले ऐ दिल