दोनों ने किया है मुझ को रुस्वा
कुछ दर्द ने और कुछ दवा ने
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शौक़ देता है मुझे पैग़ाम-ए-इश्क़
तू हम से है बद-गुमाँ सद अफ़्सोस
आह-ए-शब नाला-ए-सहर ले कर
पैमान-ए-वफ़ा-ए-यार हैं हम
दर्द आ के बढ़ा दो दिल का तुम ये काम तुम्हें क्या मुश्किल है
तेरा मरना इश्क़ का आग़ाज़ था
पोशीदा देखती है किसी की नज़र मुझे
आँख में जल्वा तिरा दिल में तिरी याद रहे
ज़ब्त की कोशिश है जान-ए-ना-तवाँ मुश्किल में है
जो गिरफ़्तार तुम्हारा है वही है आज़ाद
और इशरत की तमन्ना क्या करें
उठा लेने से तो दिल के रहा मैं